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Showing posts from September, 2018

देखन में छोटे लगें, रिटर्न दें भरपूर

कारोबार की दुनिया में भी कु छ पूरे विकसित हाथी होते हैं, कुछ नवजात हाथी यानी नये पैदा हुए। प्रकृति का नियम है कि नवजात हाथी या नवजात बच्चा दोनों ही तेज गति से बढ़ते हैं। नवजात बच्चे की सालाना विकास दर 100 प्रतिशत या 200 प्रतिशत भी हो सकती है। यानी पैदा होते वक्त जो वज न था, उसका दोगु ना वजन अगले साल हो सकता है। इस विकास दर को बड़े होने पर बनाये रखना मुश्किल होता है। इसलिए बड़ी कंपनियों का विकास हर साल सौ प्रतिशत की रफ्तार से न हीं हो सकता। बड़ी कंपनियों के शेयर शायद ही एक साल में कभी सौ प्रतिशत उछलते हों। पर छोटी कंपनियों के मामले में यह संभव है क्योंकि वह विकास की शैशवावस्था में होती हैं और विकास की तेज रफ्तार में होती हैं। छोटी कंपनियों की डूबने की रफ् तार भी बहुत तेज होती है क्योंकि उनके पास संसाधनों का, ब्रांड का वैसा सहारा नहीं होता, जैसा बड़ी कंपनियों के पास होता है। इसलिए जो एक्सपर्ट, जो निवेशक छोटी कंपनियों के निवेश में महारथ हासिल कर लेते हैं, उनके रिटर्न बहुत शानदार आते हैं। पर छोटी कंपनियों में निवेश में महारथ हासिल करना बहुत मुश्किल काम है। इसकी वजह यह है कि ब

रफ़ाल जैसा जंगी विमान पाक-चीन के पास नहीं'

अभी भारत के सभी 32 स्क्वाड्रन पर 18-1 8 फ़ाइटर प्लेन हैं. एयरफ़ोर्स की आशंका है कि अगर एयरक्राफ़्ट की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो स्क्वाड्रन की संख्या 2022 तक कम होकर 25 ही रह जाएगी और यह भारत की सुरक्षा के लिए ख़तरनाक होगा. भारत के वर्तमान आर्मी प्रमुख जनरल बिपिन रावत कई बार टू फ्रंट वॉर मतलब एक साथ दो देशों के आक्रमण की बात कह चुके हैं. ज न रल रावत की इस टिप्पणी को भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान और चीन के गठजोड़ के तौर पर देखा गया. मतलब पाकिस्तान अगर भारत से युद्ध छेड़ता है तो चीन भी उसका साथ दे सकता है. ऐसे में क्या भारत दोनों से निपट सकेगा? गुलशन लुथरा ने अपने इंटरव्यू में कहा था, ''पाकिस्तान को तो हमलोग हैं डल कर सकते हैं. लेकिन हमारे पास चीन की कोई काट नहीं है. अगर चीन और पाकिस्तान दोनों साथ आ गए तो हमारा फंसना तय है.'' भारत और चीन 1962 में एक युद्ध कर चुके हैं. भारत को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था. अब भी दोनों देशों के बीच सीमा का स्थाई तौर पर निर्धारण नहीं हो सका है.फ़ाएल का इस्तेमाल सीरिया और इराक़ में किया जा चुका है. इसकी क़ीमत को लेकर भी आलोचन